नेतरहाट के किसी भी छात्र से अगर आप "चहबच्चा" शब्द की चर्चा करें तो सम्भावना है की आप उस छात्र के चेहरे पे मुस्कान पायें। तो आयें हम यह जानने की कोशिश करें की ऐसा क्या है इस शब्द में जिसे सुन कर एक व्यक्ति बेसाख्ता ही मुस्कुरा पड़े।
चहबच्चा एक आयताकार गढ्ढा होता है जो चापानल के पास में हुआ करता है। यहाँ पे चापाकल के निकला हुआ इस्तेमाल के बाद का गन्दा पानी जमा होता है। एक साधारण सा गढ्ढा , जो गन्दा पानी जमा करने के काम आता है , में ऐसा क्या है जो एक पोस्ट का शीर्षक है ? धीरज रखें महानुभाव।
यह साधारण सा चहबच्चा होली के आस पास बहुत महत्त्वपूर्ण स्थल बन जाता है। होली के पहले विशेष ध्यान देकर इसकी सफाई की जाती है और खासकर ध्यान दिया जाता है की शीशा और धातु इत्यादि की वस्तुएं इसमें न रहे। इस सफाई के बाद इस चहबच्चे में छात्र एक दूसरे को डुबोते हैं। उस बालक को ज्यादा डुबाया जाता है जो ज्यादा मना करता है। और इस डुबाने की क्रिया एक विशेष अंदाज़ में की जाती है।
चार छात्र उस छात्र को जिसे डूबाना है, उसे पकड़ लेते हैं, दो हाथ और दो पैर, फिर एक झूले की तरह उसे तीन बार दायें से बाएँ और बाएँ से दायें ले जाकर छोड़ा जाता है और बेचारा बालक पानी में सरोबार हो जाता है। फिर अगले बालक को चहबच्चे में डालने के लिए एक और स्वयंसेवक मिल जाता है।
हाँ, डूबाना शब्द का उपयोग करने से एक बात याद आई। नेतरहाट के सन्दर्भ में डूबाना एक विशेष क्रिया है, जो आपको फिर कभी बताई जायेगी।
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