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Tuesday, 29 December 2009

Financial Planning !!!!!!!

Dan was a single man living at home with his widowed father 
and working in the family business.

When he found out he was going to inherit a fortune
when his sickly father died, he decided he needed to find a wife
with whom to share his fortune.

One evening, at an investment meeting, he spotted the
most beautiful woman he had ever seen. Her natural beauty
took his breath away.

"I may look like just an ordinary man," he said to her, "but soon,
my father will die and I will inherit $200 million."

Impressed, the woman asked for his business card and
three days later, she became his stepmother.


Women are so much better at financial planning than men.

 Note: This has been taken from an email.

Monday, 28 December 2009

बिहार स्पेशल शब्दकोष




बिहार स्पेशल शब्दकोष


पेश है शब्दकोश के कुछ जाने-पहचाने शब्द:


कपड़ा फींच\खींच लो, बरतन मईंस लो, ललुआ, ख़चड़ा, खच्चड़, ऐहो, सूना न, ले लोट्टा, ढ़हलेल, सोटा, धुत्त मड़दे, ए गो, दू गो, तीन गो, भकलोल, बकलाहा, का रे, टीशन (स्टेशन),
चमेटा (थप्पड़), ससपेन (स्सपेंस), हम तो अकबका (चौंक) गए, जोन है सोन, जे हे से कि, कहाँ गए थे आज  शमावा (शाम) को?, गैया को हाँक दो, का भैया का हाल चाल बा, बत्तिया बुता (बुझा) दे, सक-पका गए, और एक ठो रोटी दो, कपाड़ (सिर), तेंदुलकरवा गर्दा मचा दिया, धुर् महराज, अरे बाप रे बाप, हौओ देखा (वो भी देखो), ऐने आवा हो (इधर आओ), टरका दो टालमटोल), का हो मरदे, लैकियन (लड़कियाँ), लंपट, लटकले तो गेले बेटा (ट्रक के पीछे), की होलो रे (क्या हुआ रे), चट्टी (चप्पल), काजक (कागज़), रेसका (रिक्सा), ए गजोधर, बुझला बबुआ (समझे बाबू), सुनत बाड़े रे (सुनते हो), फलनवाँ-चिलनवाँ, कीन दो (ख़रीद दो), कचकाड़ा (प्लास्टिक), चिमचिमी (पोलिथिन बैग), हरासंख, चटाई या पटिया, खटिया, बनरवा (बंदर), जा झाड़ के, पतरसुक्खा (दुबला-पतला आदमी), ढ़िबरी, चुनौटी, बेंग (मेंढ़क), नरेट्टी (गरदन) चीप दो, कनगोजर, गाछ (पेड़), गुमटी (पान का दुकान), अंगा या बूशर्ट (कमीज़), चमड़चिट्ट, लकड़सुंघा, गमछा, लुंगी, अरे तोरी के, अइजे (यहीं पर), हहड़ना (अनाथ), का कीजिएगा (क्या करेंगे), दुल्हिन (दुलहन), खिसियाना (गुस्सा करना), दू सौ हो गया, बोड़हनझट्टी, लफुआ (लोफर), फर्सटिया जाना, मोछ कबड़ा, थेथड़लौजी, नरभसिया गए हैं (नरवस), पैना (डंडा), इनारा (कुंआ), चरचकिया (फोर व्हीलर), हँसोथना (समेटना), खिसियाना (गुस्साना), मेहरारू (बीवी), मच्छरवा भमोर लेगा (मच्छर काट लेगा), टंडेली नहीं करो, ज्यादा बड़-बड़ करोगे तो मुँह पर बकोट (नोंच) लेंगे, आँख में अंगुली हूर देंगे, चकाचक, ससुर के नाती, लोटा के पनिया, पियासल (प्यासा), ठूँस अयले (खा लिए), कौंची (क्या) कर रहा है, जरलाहा, कचिया-हाँसू, कुच्छो नहीं (कुछ नहीं), अलबलैबे, ज्यादा लबड़-लबड़ मत कर, गोरकी (गोरी लड़की), पतरकी (दुबली लड़की),ऐथी, अमदूर (अमरूद), आमदी (आदमी), सिंघारा (समोसा), खबसुरत, बोकरादी, भोरे-अन्हारे, ओसारा बहार दो, ढ़ूकें, आप केने जा रहे हैं, कौलजवा नहीं जाईएगा, अनठेकानी, लंद-फंद दिस् दैट, देखिए ढ़ेर अंग्रेज़ी मत झाड़िए, लंद-फंद देवानंद, जो रे ससुर, काहे इतना खिसिया रहे हैं मरदे, ठेकुआ, निमकी, भुतला गए थे, छूछुन्दर, जुआईल, बलवा काहे नहीं कटवाते हैं, का हो जीला, ढ़िबड़ीया धुकधुका ता, थेथड़, मिज़ाज लहरा दिया, टंच माल, भईवा, पाईपवा, तनी-मनी दे दो, तरकारी, इ नारंगी में कितना बीया है, अभरी गेंद ऐने आया तो ओने बीग देंगे, बदमाशी करबे त नाली में गोत देबौ, बड़ी भारी है-दिमाग में कुछो नहीं ढ़ूक रहा है, बिस्कुटिया चाय में बोर-बोर के खाओ जी, छुच्छे काहे खा रहे हो, बहुत निम्मन बनाया है, उँघी लग रहा है, काम लटपटा गया है, बूट फुला दिए हैं, बहिर बकाल, भकचोंधर, नूनू, सत्तू घोर के पी लो, लौंडा, अलुआ, सुतले रह गए, माटर साहब, तखनिए से ई माथा खराब कैले है, एक्के फैट मारबौ कि खुने बोकर देबे, ले बिलैया – इ का हुआ, सड़िया दो, रोटी में घी चपोड़ ले, लूड़ (कला), मुड़ई (मूली), उठा के बजाड़ देंगे, गोइठा, डेकची, कुसियार (ईख), रमतोरई (भींडी), फटफटिया (राजदूत), भात (चावल), नूआ (साड़ी), देखलुक (देखा), दू थाप देंगे न तो मियाजे़ संट हो जाएगा, बिस्कुट मेहरा गया है, जादे अक्खटल न बतिया, एक बैक आ गया और हम धड़फड़ा गए, फैमली (पत्नी), बगलवाली (वो), हमरा हौं चाहीं, भितरगुन्ना, लतखोर, भुईयां में बैठ जाओ, मैया गे, काहे दाँत चियार रहे हो, गोर बहुत टटा रहा है, का हीत (हित), निंबुआ दू चार गो मिरची लटका ला चोटी में, भतार (पति शायद), फोडिंग द कापाड़ एंड भागिंग खेते-खेते, मुझौसा, गुलकोंच(ग्लूकोज़)।


कुछ शब्दों को आक्सफोर्ड डिक्शनरी ने भी चुरा लिया है। और कुछ बड़ी-बड़ी कंपनियाँ इन शब्दों
को  अपनें ब्रांड के रूप में भी यूज़ कर रही हैं। मसलन


- देखलुक – मतलब “देखना” – देख — लुक (Look)
- किनले – मतलब “ख़रीद” – KINLEY (Pepsi Mineral Water)
- पैलियो – मतलब “पाया” – Palio (Fiat’s Car)
- गुच्ची – मतलब “छेद” – Gucci (Fashion Products)


अब बिहार में आपका नाम कैसे बदल जाता है उसकी भी एक बानगी देखिए। यह
इस्टेब्लिस्ड कनवेंशन है कि आपके नाम के पीछे आ, या, वा लगाए बिना वो संपूर्ण नहीं है। मसलन….


- राजीव – रज्जीवा
- सुशांत – सुशांतवा
- आशीष – अशीषवा
- राजू – रजुआ
- रंजीत – रंजीतवा
- संजय – संजय्या
- अजय – अजय्या
- श्वेता – शवेताबा


कभी-कभी माँ-बाप बच्चे के नाम का सम्मान बचाने के लिए उसके पीछे जी लगा देते
है। लेकिन इसका कतई यह मतलब नहीं कि उनके नाम सुरक्षित रह जाते हैं।


- मनीष जी – मनिषजीवा
- श्याम जी – शामजीवा
- राकेश जी – राकेशाजीवा


अब अपने टाईटिल की दुर्गति देखिए।


- सिंह जी – सिंह जीवा
- झा जी – झौआ
- मिश्रा – मिसरवा
- राय जी – रायजीवा
- मंडल – मंडलबा
- तिवारी – तिवरिया


ऐसे यही भाषा हमारी पहचान भी है और आठ करोड़ प्रवासी-अप्रवासी बिहारियों की
जान भी।
Note: Above is reproduced from an email.
This can be also found on Ritesh's blog on wordpress


Sunday, 27 December 2009

Virender Sehwag - Cricketer of the decade

Virender Sehwag is rated as the cricketer of the decade by internationally acclaimed sports writers, such as Peter Roebuck and Derek Pringle. This is quite a remarkable achievement for a person who was dropped from Indian team at one point of time. You will not find any other instance in international cricket where a player becomes number one when he was not even a part of playing eleven.
He is known as an impact player and such is his impact that he is already being compared with Vivian Richards for the sheer audacity he seems to possess. Mind you, here he is not compared to The Don, or to Hutton but to the King for the capability of dominating bowlers. Even in the Indian team, there are more prolific run getters in form of Rahul Dravid and Sachin Tendulkar, but even these stalwarts do not possess triple hundreds.
And those who talk of consistency, take this example, all but one of his last 11 century innings, have a score of 150 plus. This statistic is mind boggling for a person attributed of not having good footwork and who relies on hand eye co-ordination.
One last thing, Pringle as indicated that his results are compiled on the basis of statistics only. Howzzzzzzzat???

Saturday, 26 December 2009

We live in an advanced country

Who says that we are a developing nation and we have still a long way to go in terms of infrastructure development, providing clean safe drinking water to rural masses.

Forget these things and read today's newspaper, you will find an old senior politician leaving behind younger people by miles. Certainly, he is as advanced in this area, as a westerner would be.

He is prime example of what is said that a man becomes old only when he thinks himself old.

Hats off to Mr. N D Tewari. As luck would have it, he could have become prime minister of India. He is our desi Bill Clinton.

Thursday, 24 December 2009

फ्लाईओवर - Interesting read

निम्नलिखित लेख उस छात्र की कॉपी से लिया गया है, जिसे निबंध लेखन प्रतियोगिता में पहला
पुरस्कार मिला है। निबध का विषय था - फ्लाईओवर।

फ्लाईओवर का जीवन में बहुत महत्व है, खास तौर पर इंजीनियरों और ठेकेदारों के जीवन में तो घणा
ही महत्व है। एक फ्लाईओवर से न जाने कितनी कोठियां निकल आती हैं। पश्चिम जगत के इंजीनियर
भले ही इसे न समझें कि भारत में यह कमाल होता है कि पुल से कोठियां निकल आती हैं और
फ्लाईओवर से फा??्महाउस।

खैर, फ्लाईओवर से हमें जीवन के कई पाठ मिलते हैं, जैसे बंदा कई बार घुमावदार फ्लाईओवर पर चले,
तो पता चलता है कि जहां से शुरुआत की थी, वहीं पर पहुंच गए हैं। उदाहरण के लिए ऑल इंडिया
इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के पास के फ्लाईओवर में बंदा कई बार जहां से शुरू करे, वहीं पहुंच
जाता है। वैसे, यह लाइफ का सत्य है, कई बार बरसों चलते -चलते यह पता चलता है कि कहीं पहुंचे
ही नहीं।

फ्लाईओवर जब नए-नए बनते हैं, तो एकाध महीने ट्रैफिक स्मूद रहता है, फिर वही हाल हो लेता है
। जैसे आश्रम में अब फ्लाईओवर पर जाम लगता है, यानी अब फ्लाईओवर पर फ्लाईओवर की जरूरत है।
फिर उस फ्लाईओवर के फ्लाईओवर के फ्लाईओवर पर भी फ्लाईओवर चाहिए होगा। हो सकता है कि
कुछ समय बाद फ्लाईओवर अथॉरिटी ऑ?? इंडिया ही बन जाए। इसमें कुछ और अफसरों की पोस्टिंग
का जुगाड़ हो जाएगा। तब हम कह सकेंगे कि फ्लाईओवरों का अफसरों के जीवन में भी घणा महत्व है।

दिल्ली में इन दिनों फ्लाईओवरों की धूम है। इधर से फ्लाईओवर, उधर से फ्लाईओवर। फ्लाईओवर बनने
के चक्कर में विकट जाम हो रहे हैं। दिल्ली गाजियाबाद अप्सरा बॉर्डर के जाम में फंसकर धैर्य और
संयम जैसे गुणों का विकास हो जाता है, ऑटोमैटिक। व्यग्र और उग्र लोगों का एक ट्रीटमेंट यह है
कि उन्हें अप्सरा बॉर्डर के जाम में छोड़ दिया जाए।

फ्लाईओवर बनने से पहले जाम फ्लाईओवर के नीचे लगते हैं, फिर फ्लाईओवर बनने के बाद जाम ऊपर
लगने शुरू हो जाते हैं। इससे हमें भौतिकी के उस नियम का पता चलता है कि कहीं कुछ नहीं बदलता,
फ्लाईओवर का उद्देश्य इतना भर रहता है कि वह जाम को नीचे से ऊपर की ओर ले आता है, ताकि
नीचे वाले जाम के लिए रास्ता प्रशस्त किया जा सके।

फ्लाईओवरों का भविष्य उज्जवल है। कुछ समय बाद यह सीन होगा कि जैसे डबल डेकर बस होती है,
वैसे डबल डेकर फ्लाईओवर भी होंगे। डबल ही क्यों, ट्रिपल, फाइव डेकर फ्लाईओवर भी हो सकते हैं।
दिल्ली वाले तब अपना एड्रेस यूं बताएंगे - आश्रम के पांचवें लेवल के फ्लाईओवर के ठीक सामने जो
फ्लैट पड़ता है, वो मेरा है। कभी जाम में फंस जाएं, तो कॉल कर देना, डोरी में टांग कर चाय
लटका दूंगा। संवाद कुछ इस तरह के होंगे - अबे कहां रहता है आजकल रोज अपने फ्लैट से पांचवें लेवल
का जाम देखता हूं, तेरी कार नहीं दिखती।



Note: Above matter is taken from an email.

Wednesday, 16 December 2009

India comes on top

India held her nerve register a win in a tense situation where they would have lost nine out of ten times. If I dare say, we have seen India losing from similar situations where Sri Lanka were in. But, this has been a refreshing change in the approach where they managed to stay in. Ironically, we will not often find figures of 88 and 81 of 10 overs treated with respect,but Zaheer Khan and Ashish Nehra have just managed that.
With 9 wickets in hand, Srilanka were the favourites with about 15 overs remaining and 100 runs required, but when it mattered, India held there nerve and came out as winners. Not too long ago, we have seen India losing from a confortable position where Tendulkar wrote an epic when he made 175. We have lost from a winning position, but today, we have managed to pull it off and as they say, it would be apt to say that we snatched victory from jaws of defeat.
I just hope that we continue to retain this spirit of never say die, because we do not lack in skill, but attitude.