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Monday, 26 December 2011

राष्ट्रीय - The republic


राष्ट्रीय बहन -मायावती
राष्ट्रीय मां ...…राखी सावंत
राष्ट्रीय रोबोट …मनमोहन सिंह
राष्ट्रीय गेम चेंजर …राहुल गांधी
राष्ट्रीय समस्या …मनीष तिवारी
राष्ट्रीय चिंता …सलमान की शादी
राष्ट्रीय चांटा प्रदायकर्ता - हरविंदर सिंह
राष्ट्रीय ‘मैं होशियार’ …अरिंदम चौधरी
राष्ट्रीय संदेशवाहक …बरखा दत्त
राष्ट्रीय बॉडी गार्ड – जितिन प्रसाद , प्रमोद तिवारी , आरपीएन सिंह
राष्ट्रीय रहस्य …सोनिया गांधी
राष्ट्रीय गिरगिट … अजित सिंह
राष्ट्रीय रथ यात्री …लालकृष्ण आडवाणी
राष्ट्रीय चुगलखोर …स्वामी अग्निवेश
राष्ट्रीय असंतुष्ट ..मेधा पाटकर
राष्ट्रीय स्ट्रगलर …अभिषेक बच्चन
राष्ट्रीय भुलक्कड़ …एसएम कृष्णा
राष्ट्रीय दामाद … कसाब, अफज़ल गुरू और रॉबर्ट वढेरा के बीच टाई
राष्ट्रीय अतिथि …हिना रब्बानी
राष्ट्रीय कोयल …मीरा कुमार
राष्ट्रीय गहनों की दुकान …बप्पी लहरी
राष्ट्रीय हंसी …राहुल महाजन
राष्ट्रीय गर्लफ्रेंड …दीपिका पादुकोण
राष्ट्रीय रईसज़ादा ..सिद्धर्थ माल्या
राष्ट्रीय टेलीफोन ऑपरेटर …दिग्विजय सिंह
राष्ट्रीय गणितज्ञ …कपिल सिब्बल
राष्ट्रीय किसान – अमिताभ बच्चन
राष्ट्रीय मसखरा … लालू यादव
राष्ट्रीय इंतज़ार …सचिन का सौंवा शतक
राष्ट्रीय गाल …शरद पवार
राष्ट्रीय दहशत …रा वन का सीक्वल
राष्ट्रीय गाली …आम आदमी
राष्ट्रीय दवा – संधि सुधा

Sunday, 24 July 2011

Bhagwan kahan hain?

Ek faqir maangne ke liye masjid ke baahar baitha raha ... sab namaazi aankh
bacha kar chale gaye ... usey kuch na mila ... woh phir church gaya, phir
mandir aur phir gurudware ... lekin usko kissi ne kuch na diya ... aakhir ek
maikhane ke baahar aakar baith gaya ... jo sharabi nikalta uske katorey mein
kuch daal deta ... uska katora noton se bhar gaya ... faqir bola,

"wah mere maula !! rahtey kahaan ho aur address kahaan ka dete ho .... "

Saturday, 5 February 2011

गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण (Gabbar Singh)

1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.


२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था. पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.


3. नृत्य-संगीत का शौकीन: 'महबूबा ओये महबूबा' गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.


4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.


5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसाया था. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक यु का 'लाफिंग बुद्धा' था.


6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.


7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था. सोना, चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.


8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करता था.सैकड़ों माताएं उसका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना कलह किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित कर रखा था. उस युग में 'कौन बनेगा करोड़पति' ना होने के बावजूद लोगों को रातों-रात अमीर बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.


9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होता तो जय और व??रू जैसे लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने की क्षमता जागी.

Saturday, 8 January 2011

Ek Sher

Heer paidal ja rahi thi ek ladka awaz deta hai:
Ae diwani piche mud k dekh tera dupatta zameen se ghisa ja raha hai.
Heer jawab deti hai:Ae diwane tu kya jane ye v apna farz nibha raha hai.
Koi chum na le mere kadmo ki mitti ko "Ranjhe" ke siwa islea ye nisan mita raha hai.